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हनुमान संदेश

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हनुमान संदेश

किरदार समय की रेखाओ पर यात्रा कर रहा है और किरदार का यात्रा पथ किरदार की आत्मा की इच्छा और कर्म अनुसार बदलता रहता है। समय के पथ पर ही किरदार दृश्यों का अनुभव करता है।

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हनुमान संदेश

किरदार जब समय के तारो पर यात्रा करता है तब किरदार बाहरी दुनिया के मौजूद माया के जाल से प्रभावित हो जाता है जिस कारण आत्मा माया के जाल में फस जाती है और स्वयं के पथ से भटक जाती है और किसी अन्य पथ पर यात्रा करना शुरू कर देती है।

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हनुमान संदेश

ब्रह्माण्ड के देवता आत्मा के किरदार की रक्षा करते है और आत्मा का सही मार्गदर्शन करने में किरदार की सहायता करते है। परन्तु जब आत्मा सुप्त हो जाती है तब वह अपने मार्ग से भटक जाती है और माया-जाल के अनुसार इच्छाओ को जन्म देती है और कर्म करती है जो आत्मा को माया के ही जाल में फंसाये रखते है।

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हनुमान संदेश

जब किरदार और आत्मा दुःख और परेशानियों का अनुभव करते है तब आत्मा परम-शक्ति को ईश्वर के रूप में याद करते है और दुःख और परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए प्रार्थना करते है फिर ब्रह्माण्ड के देवता आत्मा की सहायता के लिए आगे आते है और आत्मा की इच्छा अनुसार मार्ग प्रदर्शित करते है।

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हनुमान संदेश

आत्मा को समय के मार्ग का ज्ञान नहीं होता है इसलिए आत्मा अपनी सभी कायाओं के ज्ञान के बिना ही समय के पथ पर आगे बढ़ जाती है जो आत्मा को माया के अन्य किसी जाल में फंसा देती है। परन्तु ब्रह्माण्ड के देवताओ को समय के सभी तारों का पूर्ण ज्ञान होता है इसलिए आत्मा को देवताओ से सिर्फ सही मार्गदर्शन की ही प्रार्थना करनी चाहिए।

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हनुमान संदेश

ईश्वर एक है जिसे आज तक किसी किरदार ने नहीं देखा है। जब किरदार सभी अनुभव का आनंद प्राप्त कर लेता है और अपनी समय यात्रा को पूर्ण कर लेता है तब वह परम-शक्ति के दर्शन कर पाता है और वह देवताओ के सामान या देवताओ के लिए सहायक होता है जो एक दिव्य आत्मा में परिवर्तित हो जाता है।

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हनुमान संदेश

देवताओ के सहायक वही आत्मा होती है जो शून्य में प्रवेश करने के बाद किसी किरदार में प्रवेश कर सके और फिर से शून्य में प्रवेश कर सके और समय के दृश्यों का अनुभव हो। ऐसी आत्माएं दिव्य आत्माएं होती है जो अन्य आत्मा जो किसी किरदार साथ समय में यात्रा कर रही है उनकी सहायता के लिए होती है।

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हनुमान संदेश

देवताओ की सहायता के बिना किसी भी आत्मा का माया-जाल से निकलना असंभव होता है क्योकि माया जो भी दृश्य आत्मा को प्रदर्शित करती है उसी को किरदार सब कुछ मान लेता है और किरदार की आत्मा सुप्त ही रहती है और फिर आत्मा किरदार के साथ माया के जाल में फांसी रहती है।

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हनुमान संदेश

क्या कभी तुमने सोचा है कि आपका जो किरदार है वह जो कर्म करता है वह किसकी इच्छा से करता है? किससे प्रेरित होकर कर्म करता है? किसकी आज्ञा या आदेश से कर्म करता है? स्वयं की क्या इच्छा है?\nक्या कभी तुमने ये सोचा है तुम्हारे कर्म किसी अन्य किरदार पर क्या प्रभाव डालते है? अपनी बुद्धि काया की सहायता से विचार कीजिये।

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हनुमान संदेश

मानव अपनी राह से भटक गया है। मानव की बुद्धि मोह और माया द्वारा हरली गयी है। मानव अपने आप आपको सर्वशक्तिशाली समझने लगा है और मानव का यही भ्रम विनाश के लिए कार्य कर रहा है। मानव को आवश्यकता है अपनी आत्मा को जाग्रत करने की जिससे द्वारा मानव माया के जाल को समझ पाएगा और अपने जीवन के सही पथ पर वापस लौट कर अपनी यात्रा पूर्ण कर पाएगा।

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हनुमान संदेश

तुम्हारी आत्मा एक जैसे जाल में फंसी हुई है जहाँ तुम्हारा किरदार अपनी आत्मा का अस्त्तित्व खो चुका है आपकी आत्मा सुप्त हो चुकी है जिस कारण आत्मा की सभी इच्छाएं माया द्वारा उत्पन्न की जा रही है और आत्मा का किरदार उन्ही इच्छाओ के अनुसार कर्म कर रहा है और किरदार के यही कर्म आत्मा को माया के जाल में फंसाये रखते है।

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July 16, 2023
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